संस्कृति के चार अध्यायRājapāla eṇḍa Sanza, 1956 - 679 pages |
From inside the book
Results 1-3 of 69
Page 449
... वे कहते हैं " यह स्वाभाविक बात है कि जब एक जाति दूसरी जाति पर विजय प्राप्त करती है , तब उसका अपना धर्मं चाहे जितना भी हास्यास्पद हो ...
... वे कहते हैं " यह स्वाभाविक बात है कि जब एक जाति दूसरी जाति पर विजय प्राप्त करती है , तब उसका अपना धर्मं चाहे जितना भी हास्यास्पद हो ...
Page 454
... वे यरोप के धर्म और संस्कृति , दोनों पर आसक्त थे , एवं ब्रह्म समाज को वे आरंभ से ही अभीप्सित दिशा में मोड़ने लगे । पहले उन्होंने ...
... वे यरोप के धर्म और संस्कृति , दोनों पर आसक्त थे , एवं ब्रह्म समाज को वे आरंभ से ही अभीप्सित दिशा में मोड़ने लगे । पहले उन्होंने ...
Page 541
... वे सबसे अधिक क्रिया- शील हैं । वे घोर रूप से क्रांतिकारी हैं , किन्तु , क्रांति के पक्ष में वे जिन शक्तियों को जाग्रत करते हैं ...
... वे सबसे अधिक क्रिया- शील हैं । वे घोर रूप से क्रांतिकारी हैं , किन्तु , क्रांति के पक्ष में वे जिन शक्तियों को जाग्रत करते हैं ...
Common terms and phrases
अथवा अधिक अनेक अपना अपनी अपने आये आर्य आर्यों इन इस इसलिये इसी इस्लाम ईरान उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसके उसे एक एवं ओर और कर करते करने कहा का काल किन्तु किया किसी की कुछ के के कारण के बाद के लिये के साथ केवल को कोई क्योंकि गयी गये जनता जब जा जाता है जाति जाने जिस जीवन जैन जो तक तथा तब तो था था कि थी थे दिया दोनों धर्म के नहीं नहीं है नाम ने पर पहले प्रकार प्रभाव फारसी फिर बहुत बात बुद्ध बौद्ध बौद्ध धर्म भारत भारत के भारत में भारतीय भाषा भी मत मनुष्य मुसलमान में में भी यह यहाँ या यूरोप ये रहा रही रहे रामायण रूप लगे लोग लोगों वह वाले वे वेद संस्कृति सकता सभी समय समाज से हम हिन्दुओं हिन्दुत्व हिन्दू ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो गया होता है होने