संस्कृति के चार अध्यायRājapāla eṇḍa Sanza, 1956 - 679 pages |
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... या दिलवाये , यज्ञ करे या करवाये , तो भी कुछ पुण्य नहीं होने का । दान , धर्म , संयम , सत्य भाषण , इन सबसे पुण्य की प्राप्ति नहीं होती ...
... या दिलवाये , यज्ञ करे या करवाये , तो भी कुछ पुण्य नहीं होने का । दान , धर्म , संयम , सत्य भाषण , इन सबसे पुण्य की प्राप्ति नहीं होती ...
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... या अनित्य ? जीव और शरीर एक हैं या दो ? मरने के बाद बुद्ध रहते हैं या नहीं ? " प्रश्न के साथ उस भक्त ने यह भी कहा कि " भगवान अगर इन ...
... या अनित्य ? जीव और शरीर एक हैं या दो ? मरने के बाद बुद्ध रहते हैं या नहीं ? " प्रश्न के साथ उस भक्त ने यह भी कहा कि " भगवान अगर इन ...
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... या अधिक नियम एकदम लागू होते हैं । उस समय ' यह करूँ या वह करूँ ' इस चिंता में पड़ कर मनुष्य पागल सा हो जाता है । • अहिंसा धर्म सब धर्मों ...
... या अधिक नियम एकदम लागू होते हैं । उस समय ' यह करूँ या वह करूँ ' इस चिंता में पड़ कर मनुष्य पागल सा हो जाता है । • अहिंसा धर्म सब धर्मों ...
Common terms and phrases
अथवा अधिक अनेक अपना अपनी अपने आये आर्य आर्यों इन इस इसलिये इसी इस्लाम ईरान उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसके उसे एक एवं ओर और कर करते करने कहा का काल किन्तु किया किसी की कुछ के के कारण के बाद के लिये के साथ केवल को कोई क्योंकि गयी गये जनता जब जा जाता है जाति जाने जिस जीवन जैन जो तक तथा तब तो था था कि थी थे दिया दोनों धर्म के नहीं नहीं है नाम ने पर पहले प्रकार प्रभाव फारसी फिर बहुत बात बुद्ध बौद्ध बौद्ध धर्म भारत भारत के भारत में भारतीय भाषा भी मत मनुष्य मुसलमान में में भी यह यहाँ या यूरोप ये रहा रही रहे रामायण रूप लगे लोग लोगों वह वाले वे वेद संस्कृति सकता सभी समय समाज से हम हिन्दुओं हिन्दुत्व हिन्दू ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो गया होता है होने