संस्कृति के चार अध्यायRājapāla eṇḍa Sanza, 1956 - 679 pages |
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... यहाँ बाहर से आकर बसे थे । इस क्रम में कहा जाता है कि सबसे पहले यहाँ नीग्रो जाति के लोग आये थे जो असभ्य थे । फिर औष्ट्रिक या आग्नेय ...
... यहाँ बाहर से आकर बसे थे । इस क्रम में कहा जाता है कि सबसे पहले यहाँ नीग्रो जाति के लोग आये थे जो असभ्य थे । फिर औष्ट्रिक या आग्नेय ...
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... यहाँ की जलवायु में ही आलस्य भरने वाला गुण है , बल्कि यह कि जीवन के संबंध में हमारी दृष्टि यथेष्ट रूप से प्रवृत्तिमूलक नहीं रही ...
... यहाँ की जलवायु में ही आलस्य भरने वाला गुण है , बल्कि यह कि जीवन के संबंध में हमारी दृष्टि यथेष्ट रूप से प्रवृत्तिमूलक नहीं रही ...
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... यहाँ के चित्रों और मूर्तियों में आत्मा के गुणों की जैसी अभिव्यंजना हुई है , वैसी शरीर के गुणों की नहीं । जीवन के वस्तुनिष्ठ रूप को ...
... यहाँ के चित्रों और मूर्तियों में आत्मा के गुणों की जैसी अभिव्यंजना हुई है , वैसी शरीर के गुणों की नहीं । जीवन के वस्तुनिष्ठ रूप को ...
Common terms and phrases
अथवा अधिक अनेक अपना अपनी अपने आये आर्य आर्यों इन इस इसलिये इसी इस्लाम ईरान उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसके उसे एक एवं ओर और कर करते करने कहा का काल किन्तु किया किसी की कुछ के के कारण के बाद के लिये के साथ केवल को कोई क्योंकि गयी गये जनता जब जा जाता है जाति जाने जिस जीवन जैन जो तक तथा तब तो था था कि थी थे दिया दोनों धर्म के नहीं नहीं है नाम ने पर पहले प्रकार प्रभाव फारसी फिर बहुत बात बुद्ध बौद्ध बौद्ध धर्म भारत भारत के भारत में भारतीय भाषा भी मत मनुष्य मुसलमान में में भी यह यहाँ या यूरोप ये रहा रही रहे रामायण रूप लगे लोग लोगों वह वाले वे वेद संस्कृति सकता सभी समय समाज से हम हिन्दुओं हिन्दुत्व हिन्दू ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो गया होता है होने