संस्कृति के चार अध्यायRājapāla eṇḍa Sanza, 1956 - 679 pages |
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... थे जिनके लिये कंपनी इस देश पर राज्य कर रही थी । यह कार्यं इतना महत्वपूर्ण रहा कि अँगरेजी राज के सबसे क्रिया- शील और शक्तिशाली अफसर ...
... थे जिनके लिये कंपनी इस देश पर राज्य कर रही थी । यह कार्यं इतना महत्वपूर्ण रहा कि अँगरेजी राज के सबसे क्रिया- शील और शक्तिशाली अफसर ...
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... था कि उनके वैयक्तिक जीवन में क्या सरलता और तप है । उनकी प्रशंसा ... था और धर्म- प्रचारकों में उसका आदर भी यथेष्ट था । सन् १८६० ई . में ...
... था कि उनके वैयक्तिक जीवन में क्या सरलता और तप है । उनकी प्रशंसा ... था और धर्म- प्रचारकों में उसका आदर भी यथेष्ट था । सन् १८६० ई . में ...
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... की उमंग जग चुकी थी और सारा का सारा राष्ट्रीय आन्दोलन उनके हाथ में था । ऐसी स्थिति में , मुसलमानों की अवस्था , सचमुच , बेपनाह थी ...
... की उमंग जग चुकी थी और सारा का सारा राष्ट्रीय आन्दोलन उनके हाथ में था । ऐसी स्थिति में , मुसलमानों की अवस्था , सचमुच , बेपनाह थी ...
Common terms and phrases
अथवा अधिक अनेक अपना अपनी अपने आये आर्य आर्यों इन इस इसलिये इसी इस्लाम ईरान उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसके उसे एक एवं ओर और कर करते करने कहा का काल किन्तु किया किसी की कुछ के के कारण के बाद के लिये के साथ केवल को कोई क्योंकि गयी गये जनता जब जा जाता है जाति जाने जिस जीवन जैन जो तक तथा तब तो था था कि थी थे दिया दोनों धर्म के नहीं नहीं है नाम ने पर पहले प्रकार प्रभाव फारसी फिर बहुत बात बुद्ध बौद्ध बौद्ध धर्म भारत भारत के भारत में भारतीय भाषा भी मत मनुष्य मुसलमान में में भी यह यहाँ या यूरोप ये रहा रही रहे रामायण रूप लगे लोग लोगों वह वाले वे वेद संस्कृति सकता सभी समय समाज से हम हिन्दुओं हिन्दुत्व हिन्दू ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो गया होता है होने