संस्कृति के चार अध्यायRājapāla eṇḍa Sanza, 1956 - 679 pages |
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... किसी एक पुरुष की रचना नहीं है । यही कारण है कि अगर आप किसी हिन्दू से यह पूछें कि तुम्हारा धर्म - ग्रंथ कौन सा है तो वह सहसा कोई एक नाम ...
... किसी एक पुरुष की रचना नहीं है । यही कारण है कि अगर आप किसी हिन्दू से यह पूछें कि तुम्हारा धर्म - ग्रंथ कौन सा है तो वह सहसा कोई एक नाम ...
Page 117
... किसी जीव का वध न करो , किन्तु , जैनों की अहिंसा बिल्कुल निस्सीम है । स्वयं हिंसा करना , दूसरों से हिंसा करवाना या अन्य किसी भी तरह से ...
... किसी जीव का वध न करो , किन्तु , जैनों की अहिंसा बिल्कुल निस्सीम है । स्वयं हिंसा करना , दूसरों से हिंसा करवाना या अन्य किसी भी तरह से ...
Page 142
... किसी हद तक ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है । असल में , ब्रह्मचर्य अतितप और अतिभोग के बीच वाली साधना का पर्याय था , अतएव , धर्म के इस अंग ...
... किसी हद तक ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है । असल में , ब्रह्मचर्य अतितप और अतिभोग के बीच वाली साधना का पर्याय था , अतएव , धर्म के इस अंग ...
Common terms and phrases
अथवा अधिक अनेक अपना अपनी अपने आये आर्य आर्यों इन इस इसलिये इसी इस्लाम ईरान उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसके उसे एक एवं ओर और कर करते करने कहा का काल किन्तु किया किसी की कुछ के के कारण के बाद के लिये के साथ केवल को कोई क्योंकि गयी गये जनता जब जा जाता है जाति जाने जिस जीवन जैन जो तक तथा तब तो था था कि थी थे दिया दोनों धर्म के नहीं नहीं है नाम ने पर पहले प्रकार प्रभाव फारसी फिर बहुत बात बुद्ध बौद्ध बौद्ध धर्म भारत भारत के भारत में भारतीय भाषा भी मत मनुष्य मुसलमान में में भी यह यहाँ या यूरोप ये रहा रही रहे रामायण रूप लगे लोग लोगों वह वाले वे वेद संस्कृति सकता सभी समय समाज से हम हिन्दुओं हिन्दुत्व हिन्दू ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो गया होता है होने