Hindī trāsadī: Siddhānta aura paramparā: Bhūmikā: Rāmadhārī Siṃha ʻDinakaraʼ. [1. Saṃskaranạ]Sāhitya Sadana, 1968 - 525 pages |
From inside the book
Results 1-3 of 81
Page 220
... नाटक है । डा ० गोपीनाथ तिवारी का अभिमत है कि ' रामलीला का ध्यान छोड़कर लिखे गए नाटकों में पं ० देवकीनंदन त्रिपाठी का सीताहरण ( १८७६ ) ...
... नाटक है । डा ० गोपीनाथ तिवारी का अभिमत है कि ' रामलीला का ध्यान छोड़कर लिखे गए नाटकों में पं ० देवकीनंदन त्रिपाठी का सीताहरण ( १८७६ ) ...
Page 343
... नाटक की भाषा - शैली में विद्यमान है । त्रासदीकार चरित्र- चरित्र चित्रण में स्वाभाविकता नाटक का मंडन - शिल्प बहुत ही उलझन भरा 1 ...
... नाटक की भाषा - शैली में विद्यमान है । त्रासदीकार चरित्र- चरित्र चित्रण में स्वाभाविकता नाटक का मंडन - शिल्प बहुत ही उलझन भरा 1 ...
Page 484
... नाटक में नहीं । हिन्दी नाटक के आचार्य भी हिन्दी त्रासदी की परम्परा को अर्वाचीन ही मानते हैं । परन्तु धीरे - धीरे पूर्व और पश्चिम के ...
... नाटक में नहीं । हिन्दी नाटक के आचार्य भी हिन्दी त्रासदी की परम्परा को अर्वाचीन ही मानते हैं । परन्तु धीरे - धीरे पूर्व और पश्चिम के ...
Common terms and phrases
अंक अतः अत्यन्त अधिक अन्त अपनी अपने आदि इन इस नाटक इस प्रकार इसका इसके इसमें इसी उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उपेन्द्रनाथ अश्क उसका उसकी उसके उसे एक एकांकी एवं ओर औरंगज़ेब कर करता है करती करते हैं करना करने करुण करुणा का कालिदास किया गया है किया है की कुछ के कारण के लिए के साथ को गई चरित्र जब जा जाता है जाती जाते हैं जी जीवन जो डा० तक तत्व तत्वों तथा तो त्रासदी के था थी थे दशरथ दिया दुर्योधन दुष्यन्त देता है दो दोनों द्वारा नहीं नाटक नाटक का नाटक में नाटकों नाट्यकार नायक ने पर परन्तु पूर्ण प्राप्त प्रेम फिर बन भाषा भी मर्यादावादी महाभारत मैं यह रचना रस राजा राम रूप में वह वे शकुन्तला संस्कृत सभी समय साहित्य सीता से स्पष्ट हम हिन्दी ही हुआ है हुई है और है कि हैं हो जाता होकर होता है होती होते होने