Matsaya Puran

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Diamond Pocket Books Pvt Ltd - 150 pages
पुराण साहित्य भारतीय साहित्य और जीवन की अक्षुण्ण निधि है। इनमें मानव जीवन के उत्कर्ष और अपकर्ष की अनेक गाथाएं मिलती हैं। अठारह पुराणों मे अलग- अलग देवी- देवताओं को केन्द्र में रखकर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएं कही गई हैं। इस रूप मे पुराणों का पठन और आधुनिक जीवन की सीमा में मूल्यों की स्थापना आज के मनुष्य का एक निश्चित दिशा दे सकता है। निरन्तर द्वन्द्व और निरन्तर द्वन्द्व से मुक्ति का प्रयास मनुष्य की संस्कृति का मूल आधार है। पुराण हमें आधार देते हैं। इसी उद्देश्य को लेकर पाठकों की रुचि के अनुसार सरल, सहज भाषा मे प्रस्तुत है पुराण- साहित्य की श्रृंखला में ‘मत्स्य पुराण’।
 

Contents

Section 1
Section 2
Section 3
Section 4
Section 5
Section 6
Section 7
Section 8
Section 9
Section 10
Section 11
Section 12
Section 13
Section 14

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Common terms and phrases

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