Kālidāsa-sāhitya meṃ saṅgīta-tattvaVidyānilayam, 1998 - 213 pages |
Contents
द्वितीय अध्याय २७१०६ | 27 |
चतुर्थ अध्याय १२९१७४ | 129 |
पंचम अध्याय १७५१९८ | 175 |
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१२ अनेक अपने अभिनय अर्थ आदि इन इस प्रकार इसके इसमें इसी उनके उसे ऋतुसंहार एक एवं और कर करते करने कला कवि कहते हैं कहा का उल्लेख का प्रयोग कालिदास कालिदास के काव्य किया है किसी की कुछ के अनुसार के लिए को गया है गान्धारी गीत ग्राम जाता है जाति जाती जिस जो तक तथा ताण्डव तान ताल तीन तो था थी थे दो दोनों द्वारा नहीं नाट्य नाद नाम नी नृत्य ने पंचम पद्धति पर पुराण प्राचीन भारतीय संगीत भी भेद माना में मेघदूत यह या रघुवंश रचना रस राग रागों रूप रे लय वर्णन वह वाद्य वाद्यों वीणा शताब्दी शिव श्रुति संगीत का संगीत में संगीत रत्नाकर संगीत शास्त्र सभी समय सा साहित्य से स्थान स्वर स्वरों हिन्दुस्तानी संगीत ही हुआ हुई हुए है और है कि हो होता है होती होने