The Unofficial Joke Book of Malaysia |
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Contents
ब्रह्म खण्ड | 13 |
प्रकृति खण्ड | 45 |
गणेश खण्ड | 72 |
कृष्ण जन्म खण्ड | 98 |
कालिया नाग की कथा | 123 |
गौरी व्रत की कथा | 137 |
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Common terms and phrases
अंश अतः अपनी अपने आदि आप इन्द्र इस प्रकार इसके इसी उत्पन्न उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसके उसे एक ऐसा कर करके करता है करते हुए करने कहा कि का काम कि हे किया किया और की कृष्ण ने के कारण के लिए के समान के साथ को गई गणेश गया गुरु जन्म जब जाता है जाने जो तक तथा तब तुम तुम्हारे तो था थी थे दिया देवी द्वारा धर्म ध्यान नन्द नहीं नाम नारद नारायण ने उन्हें ने कहा पति पत्नी पर परशुराम पार्वती पुत्र पूजा पृथ्वी प्रकृति प्रसन्न प्राप्त फिर बताया कि बाद बार बालक ब्रह्मा ब्रह्मा ने ब्राह्मण भक्ति भगवान् भी मन मुझे मुनि मेरे मैं यह यहां रहे राजा राधा रूप में लक्ष्मी लिया लेकिन वह वहां वाला वाली वाले विष्णु वे शंकर शाप शिव सब सभी समय से स्तुति स्वयं ही हुआ हुई हूं है और हैं हो गये होकर होता है होने